Sunday, 30 December 2007

प्रेम मिलन को नैन तरसे

अराधना के प्रमुख गायक एवं संगीतकार क्रिस ने अपनी नई एलबम अमृतवाणी के पटाक्षेप से पहले उसके बारे में कहा था कि ख्रीस्त भजनों का यह संकलन उनका सबसे उम्दा संकलन है। अमृतवाणी को सुनने के बाद क्रिस के इस वक्तव्य पर संदेह करने की कोई गुंजाईश नहीं। भारतीय एवं पाश्चात्य, शास्त्रीय एवं लोक तथा अंग्रेज़ी एवं हिंदी का अत्यंत निपुण सम्मिश्रण इस संकलन में नज़र आता है। अराधना की यह चौथी एलबम है। इससे पहले दीप जले (2000), मार्ग दर्शन (2002), सत्संग (2004) में अपनी निरंतर परिक्व होती कला का परिचय देते रहे हैं और अब तो चौका लग ही गया है।

पहला भजन 'जयदेव' ब्रह्मबांधव उपाध्याय द्वारा रचित वंदनागीत है। भजन संस्कृत में है और क्रिस ने इसे संस्कृत में ही गाया है। 'जयदेव जयदेव नरहरि' का रिफ्रेन भजन को ग़ज़ब की उर्जा देता है और सुनने वाले को विभोर करता है बाकी सारी एलबम के लिए। दूसरा भजन 'यीशु राजा' मुमताज़ मसीह का लिखा हुआ है, संगीत है हसन अली ख़ान का और गाया है क्रिस ने। अराधना से पहले क्रिस 'ओलियो' नाम के म्यूज़िक बैण्ड के साथ जुड़े हुए थे और उस ग्रूप की दूसरी एलबम 'अपरम्पार' में इस भजन को स्वर दिए थे हसन अली ख़ान ने ही। दोनों ने ही इसे बहुत खूबसूरती से गाया है। भजन की गहराई और माधुर्य के लिए दोनों की ही गायकी को सुनें। खैर, तीसरा भजन 'अमृतवाणी' शुरु होता मंजीरों की वाणी से जिसे सुन कर मेरी पत्नी का कहना है कि यह भजन आपको सीधा बनारस के घाट पर हो रहे कीर्तन में ले जाता है। यह है टिपिकल सत्संग भजन। बार बार शब्दों का दोहराना, सरल धुन, सीधी सी बातें। इस भजन में कोरस का स्वर मुखर है। भजन के शब्द हैं साधु नितेश के। इसके बाद आता इस संकलन का सबसे ज़्यादा मस्ती से गाया और कम्पोज़ किया गया भजन 'भजो रे'। स्वामी अनिल देव, क्रिस और रमन सिंह ने इस भजन के शब्द और संगीत विशेष ईश्वरीय अनुग्रह में रहकर तैयार किए होंगे। इस भजन के बाद है चार वाक्यों का संगीतबद्ध विश्वासवचन 'ध्यानमूलम्'। क्रिस की मननशील आवाज़ का साथ दिया है सधे हुए तानपुरे और सारंगी ने। 'मन मेरा क्यों डोले रे' छठा भजन है। अब तक आपने सितार, गिटार, तबले, तानपुरे और बांसुरी के साथ गिटार की स्ट्रमिंग ज़रूर सुन ली होगी। अब इस भजन में वेस्टर्न ड्रम्ज़ का भी प्रमुखता से प्रयोग किया गया है। क्रिस और पीटर हिक्स का रॉक म्यूज़िक का अनुभव बहुत की खूबसूरत ढंग से यहां ज़ाहिर होता है। आध्यात्मिक आनंद और भक्ति रस की लहरों के ज्वार भाटे में एक ज़ोरदार जोश यहां मिलता है। रमन और क्रिस के लिखे इस भजन में पीटर हिक्स के अंग्रेज़ी में दिए गए बैकअप वोकल्स एक अनूठा आयाम ले आते हैं। गिटार और सितार के सम्मिश्रण के साथ आरंभ होता है अगला भजन 'प्रेम मिलन'। क्रिस, रमन और साधु नितेश ने शब्दबद्ध किया है एक और टिपिकल सत्संग भजन हालांकि रॉक संगीत के चिन्ह यहां भी हैं और बहुत खूबसूरत। आगे है यीशुदास और क्रिस हेयल द्वारा लिखी गई एक प्रार्थना, 'प्रभु हमारे जीवन में भर दो अपना आनंद रे'। सुंदर शब्द और सुंदर गायकी। 'खटखटाओ' में यीशुदास और क्रिस ने सुसमाचारों में पाए जाने वाले यीशु ख्रीस्त के शब्दों को भजन का रूप दिया है। जिन सुननेवालों को अराधना की डिस्कोग्राफ़ी की जानकारी है वे जानते हैं कि क्रिस के लिए नेपाली भजन गाना अनिवार्य है। 'आयो है आयो' किरन प्रधान द्वारा लिखा और संगीतबद्ध किया एक मर्मस्पर्शी नेपाली भजन है जिस पर हिंदी भाषी भी बहुत झूमने वाले हैं। एलबम का अंत जयदेव जयदेव नरहरी आलाप के साथ ही होता है। क्रिस और कोरस के लगातार दोहराए जा रहे आलाप में एक बार फिर पीटर हिक्स की आवाज़ सुनती है जो संस्कृत शब्दों का ख़ूबसूरत अंग्रेज़ी अनुवाद करते हैं।

भजनों के बारे में बस इतना ही। एलबम का एक और पक्ष जो बहुत ही आकर्षित करता है वह है कवर आर्ट या आवरण चित्र। ज्योति साही की पेंटिंग में मरियम बालक यीशु को गोद में लिए बैठी हैं। इस चित्र पर विस्तार से बात फिर आगे करेंगे।



1 comment:

Arun Aditya said...

waah kya baat hai.