मनुष्य के भय, चिंताएं, तनाव अभी समाप्त नहीं हुए। किसी को पुकारना की उसकी ज़रूरत अभी पुरानी नहीं पड़ी।
मन मेरा पतझड़ का पत्ता कांपे है प्रभु कांपे है
मन मेरा पतझड़ का पत्ता कांपे है प्रभु कांपे है
दुख संकट की आंधी आई आंधी आई आंधी आई
सुबह अंधेरा रात सियाही रात सियाही रात सियाही
नही रोशनी किसी ओर भी नज़र नहीं कुछ आवे है
मन मेरा पतझड़ का पत्ता कांपे है प्रभु कांपे है
तूफ़ानो को तुमने प्रभु जी शांत किया हां शांत किया
गहरे पानी की लहरों को डांट दिया फिर डांट दिया
तुम्हरी कोमल वाणी से मेरा डगमग मन बल पावे है
मन मेरा पतझड़ का पत्ता कांपे है प्रभु कांपे है
मन मेरा पतझड़ का पत्ता कांपे है प्रभु कांपे है
दुख संकट की आंधी आई आंधी आई आंधी आई
सुबह अंधेरा रात सियाही रात सियाही रात सियाही
नही रोशनी किसी ओर भी नज़र नहीं कुछ आवे है
मन मेरा पतझड़ का पत्ता कांपे है प्रभु कांपे है
तूफ़ानो को तुमने प्रभु जी शांत किया हां शांत किया
गहरे पानी की लहरों को डांट दिया फिर डांट दिया
तुम्हरी कोमल वाणी से मेरा डगमग मन बल पावे है
मन मेरा पतझड़ का पत्ता कांपे है प्रभु कांपे है
6 comments:
bhut sundar. jari rhe.
aap apna word verification hata le taki humko tipni dene me aasani ho.
दुख संकट की आंधी आई आंधी आई आंधी आई
सुबह अंधेरा रात सियाही रात सियाही रात सियाही
नही रोशनी किसी ओर भी नज़र नहीं कुछ आवे है
मेरा मन सूखा पत्ता प्रभु जी कांपे है कांपे है
बहुत ही उम्दा...
तूफ़ानो को तुमने प्रभु जी शांत किया हां शांत किया
गहरे पानी की लहरों को डांट दिया फिर डांट दिया
तुम्हरी कोमल वाणी से मेरा डगमग मन बल पावे है
मन मेरा पतझड़ का पत्ता कांपे है प्रभु कांपे है
बहुत खूब लिखा है। बधाई।
बहुत सही,,
मेरा मन सूखा पत्ता प्रभु जी कांपे है कांपे है
bahut badhiya...
उत्साहवर्धन के लिए आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद। आप सबके ब्लॉग भी देखे। बहुत ही आला हैं। आपसे सीखते रहने का मौका मिलता रहेगा। रश्मि जी word verification की परेशानी के लिए माफ़ कीजिएगा। आगे से ऐसी कोई दिक्कत न होने पाएगी।
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